Punjab News18

punjabnews18.com

देश

कोर्ट के फैसले को समझने योग्य बनाना जजों की जिम्मेदारी: CJI डीवाई चंद्रचूड़…

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को जी-20 देशों के मुख्य न्यायाधीशों की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जज राजकुमार नहीं हैं कि कोर्ट में फैसले लिखने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी से बच सकते हैं। ‘

डिजिटल परिवर्तन और न्यायिक दक्षता बढ़ाने के लिए तकनीक के उपयोग’ विषय पर बोलते हुए न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने ये बाते कही हैं।

उन्होंने कहा, “न्यायाधीशों के रूप में हम न तो राजकुमार हैं और न ही राजा हैं। जजों की यह जिम्मेदारी है कि कोर्ट के फैसलों को समझने योग्य बनाया जाए।”

इस बात की संभावना है कि उनका यह बयान सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के पिछले निर्णयों को पढ़ने के उनके अनुभव की उपज है।

आपको बता दें कि अदालतों के द्वारा स्पष्ट रूप से लिखे जाने के बावजूद अधिकांश औसत शिक्षित लोगों के लिए कोर्ट के फैसलों को पढ़ना मुश्किल होता है। इसका प्रमुख उदाहरण 1973 का ऐतिहासिक केशवानंद भारती फैसला है।

सीजेआई ने कहा कि न्यायाधीश मुख्य रूप से लोगों की सेवा करने वाला और अधिकार दिलाने वाले होते हैं। कानून के शासन द्वारा शासित समाज को सुनिश्चित करना उनका मुख्य कर्तव्य है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने रियो डी जनेरियो शिखर सम्मेलन में निर्णयों में पारदर्शिता और समझने की योग्यता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने इस दौरान भारतीय न्यायपालिका में प्रौद्योगिकी की प्रगति पर भी प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय अदालतों की पुनर्कल्पना अब थोपे गये साम्राज्य के बजाय विमर्श की लोकतांत्रिक व्यवस्था के रूप में की गई हैं। कोविड-19 महामारी के कारण अदालतों की व्यवस्थाओं को रातों-रात बदलना पड़ा। उन्होंने मुकदमे से जुड़ें पक्षों और कम कनेक्टिविटी वाले स्थानों के बीच डिजिटल विभाजन और प्रतिनिधित्व संबंधी विषमता पर भी बात की।” इन विषमताओं को अड़चनें बताते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हमें इनसे निपटना होगा। जब हम न्यायिक दक्षता की बात करते हैं, तो हमें न्यायाधीश की दक्षता से परे हटकर देखना चाहिए और समग्र न्यायिक प्रक्रिया के बारे में सोचना चाहिए। दक्षता न केवल नतीजों में निहित है बल्कि उन प्रक्रियाओं में भी है जिन्हें स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करनी चाहिए।’’

LEAVE A RESPONSE

Your email address will not be published. Required fields are marked *