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कभी इस मंदिर में दी जाती थी नर बलि, रात में दर्शन के लिए आते थे जीव-जंतु, अब मुर्गे-मुर्गियों का प्रांगण में है बसेरा

भारत में जितने भी मंदिर पाए जाते हैं, उनमें से शायद ही किसी मंदिर में मुर्गे मुर्गियों का प्रवेश होता है. ज्योतिषाचार्यों तथा विद्वानों की मानें तो, मुर्गे-मुर्गियों को उनके द्वारा ग्रहण किए जाने वाले आहार की वजह से मंदिरों में प्रवेश हेतु अपवित्र माना गया है. ऐसे में किसी भी मंदिर में उनके प्रवेश पर निषेध रहता है. लेकिन आज हम आपको बिहार के पश्चिम चम्पारण जिले में बसे एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी मान्यता बेहद अनोखी तथा रोंगटे खड़े कर देने वाली है.

सबसे खास बात तो यह है कि चंपारण के घने जंगलों में स्थापित इस मंदिर में बकरे एवं अन्य मवेशियों सहित मुर्गे-मुर्गियों का भी बसेरा होता है. मंदिर में आए श्रद्धालुओं का कहना है कि वो यहां मन्नत पूरी होने के उपलक्ष्य में बकरे, कबूतर तथा मुर्गे-मुर्गियों को लाते हैं, जिन्हें माता के समक्ष आजाद कर दिया जाता है.

दी जाती थी नर बलि, प्रांगण में होता था जंगली जीवों का प्रवेश
वाल्मिकी भ्रमण के टूर ऑपरेटर शुभम की मानें तो, इस मंदिर की स्थापना बुंदेलखंड के राजा जासर के पुत्र आल्हा–ऊदल ने सैकड़ों वर्ष पहले की थी. राजा जासर देवी मां के अनन्य भक्त थें. उन्होंने खुद अपनी बलि माता के चरणों में दी थी. देहावसान के पश्चात उनके दोनों बेटों आल्हा एवं ऊदल ने पिता की इच्छा पूर्ति के लिए मंदिर की स्थापना कराई. इतना ही नहीं, बिहार सरकार की तरफ से जारी पुस्तिका स्मारिका में यह स्पष्ट रूप से वर्णित किया गया है कि मंदिर में बाघ और अन्य जंगली जीवों का बसेरा था. हालांकि आज भी यहां मंदिर के आसपास बाघ तथा तेंदुआ जैसे खूंखार जीव देखे जाते हैं, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि आज तक किसी भी श्रद्धालु के हताहत होने की ख़बर नहीं आई है.

बकरे तथा कबूतरों सहित मंदिर में है मुर्गे मुर्गियों का भी बसेरा
इस मंदिर की सबसे अनोखी बात यह है कि यहां कभी नर बलि दी जाती थी. लेकिन वर्तमान में यहां बलि प्रथा को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है. आज यहां जितने भी पशु बलि के लिए लाए जाते हैं, उन्हें देवी मां के समक्ष आज़ाद कर दिया जाता है. आश्चर्य की बात यह है कि इनमें मुर्गे मुर्गियों जैसे जीव भी शामिल हैं, जिन्हें अन्य सभी मंदिरों में अपवित्र मान प्रवेश हेतु प्रतिबंधित किया गया है.खास बात यह है कि ये जीव मंदिर का प्रांगण छोड़ कभी बाहर नहीं जाते हैं. ऐसे में प्रांगण में बकरों, कबूतरों तथा मुर्गों का भरमार सा लगा रहता है.

पर्यटकों ने कहा…आजतक नहीं नहीं देखा ऐसा मंदिर
वाल्मिकी टाइगर रिजर्व में टूर पर आए बिहार के मधेपुरा जिले के निवासी मनीष ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन काल में अनगिनत मंदिरों के दर्शन किए हैं, लेकिन वाल्मीकीनगर के घने जंगल में बसे मां नर देवी जैसा मंदिर कहीं और नहीं देखा है.खास कर मंदिर प्रांगण में मुर्गों का निर्विरोध प्रवेश अपने आप में बेहद अनोखा है. वाल्मीकीनगर के स्थानीय निवासी दिवाकर पांडे ने भी कुछ ऐसा ही बताया.उनका कहना है कि श्रद्धालु यहां पशुओं को लाते हैं तथा माता के समक्ष आजाद कर देते हैं. इनमें कबूतर बकरे तथा मुर्गे शामिल हैं.

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