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बांग्लादेश के तीस्ता नदी प्रोजेक्ट को लेकर भारत ने दिखाई दिलचस्पी, ड्रैगन पहले से ही तैयार; किसको मिलेगा प्रोजेक्ट…

बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत दौरे पर आई हुई हैं।

हसीना मोदी 3.0 में द्विपक्षीय वार्ता के लिए भारत आने वाली पहली विदेशी मेहमान है। इस दौरे पर भारत और बांग्लादेश के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं। 

चर्चा के बाद दिए संयुक्त बयान में पीएम मोदी ने तीस्ता नदी प्रोजेक्ट को लेकर अपनी दिलचस्पी दिखाई। पीएम मोदी ने कहा कि भारतीय टेक्निकल टीम जल्दी ही तीस्ता नदी के मैनेजमेंट और संरक्षण पर बात करने के लिए ढ़ाका जाएगी।

तीस्ता भारत और बांग्लादेश को जोड़ने वाली 54 नदियों में से एक है। पीएम ने कहा कि हम बाढ़ नियंत्रण और पीने का पानी को लेकर नए प्रोजेक्ट पर काम करेंगे। भारत और बांग्लादेश के बीच 1996 में हुई गंगा जल संधि को भी एक नया रूप देने पर बात हुई जो अगले साल खत्म हो जाएगी।

तीस्ता नदी प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों ने नाम न छपने की शर्त पर कहा कि बांग्लादेश के इस पुराने प्रोजेक्ट पर भारत की दिलचस्पी, चीन के वजह से है।

बांग्लादेशी पीएम शेख हसीना जुलाई में चीन दौरे पर जाएंगी। चीन ने पहले ही तीस्ता नदी प्रोजेक्ट को लेकर 1 बिलियन डॉलर का रियायती लोन देने का प्रस्ताव रख दिया है। भारत ने भी बांग्लादेश को चीन की तीस्ता पर उपस्थिती को लेकर अपना पक्ष रखा था।

अब जबकि हसीना अगले महीने चीन दौरे पर जा रही हैं तो भारत के ऊपर यह प्रेशर था कि कहीं वह इस प्रस्ताव को स्वीकार न कर लें। क्योंकि भारत कभी भी चिकन नेक के करीब चीन की उपस्थिती नहीं चाहता।

भारत की तरफ से इस प्रोजेक्ट को लेकर दिलचस्पी दिखाना बांग्लादेश को भी फायदा देगा क्योंकि चीन द्वारा दिया गया लोन कैसे कई देशों के लिए गले की हड्डी बना हुआ है, इससे बांग्लादेश भी परिचित है।

विदेश सचिव विनय कवात्रा ने मीडिया से कहा कि नदियों के पानी का बंटवारा दोनों ही देशों के लिए एक जरूरी मुद्दा है। बांग्लादेश से हमारे दोस्ताना संबंध है।

ऐसे में दोनों देशों को जोड़ने वाली नदी तीस्ता एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन जाती है। विनय ने कहा कि दोनों नेताओं ने तीस्ता नदी के संरक्षण की बात कही, इसके लिए एक बेहतर टेक्निकल मैनेजमेंट की जरूरत पड़ेगी। विनय ने कहा कि पानी के बंटवारे से ज्यादा यह नदी के संरक्षण की बात है कि आप पानी के बहाव को कैसे मैनेज कर पाते हैं।

क्या है तीस्ता जल समझौता और प्रोजेक्ट
भारत और बांग्लादेश के बीच तीस्ता नदी को लेकर कई सालों से विवाद है। तीस्ता नदी का 83 फीसदी हिस्सा भारत में हैं जबकि 17 फीसदी बांग्लादेश में है।

बांग्लादेश इस नदी के 50 फीसदी पानी पर अपना अधिकार चाहता है तो वहीं भारत नदी के 55 फीसदी हिस्से पर अपना अधिकार चाहता है।

414 किमी लम्बी तीस्ता नदी हिमालय से निकलकर सिक्किम के रास्ते भारत में प्रवेश करती है और पश्चिम बंगाल से गुजरते हुए बांग्लादेश पहुंच जाती है। बांग्लादेश और भारत के करीब 1 करोड़ लोगों की पानी से जुड़ी जरूरतों को यह नदी पूरा करती है।

2011 में दोनों देश तीस्ता जल समझौते को करने में एकमत हो गए थे लेकिन ममता बनर्जी की नाराजगी के चलते यह समझौता नहीं हो पाया था।

अगर यह समझौता होता है तो पश्चिम बंगाल अपने मन मुताबिक पानी का उपयोग नहीं कर पाएगा। यही ममता बनर्जी के नाराज होने का मुख्य कारण है।2015 में पीएम मोदी बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को साथ बांग्लादेश गए लेकिन 9 सालों बाद भी यह समझौता नहीं हो पाया है।

तीस्ता प्रोजेक्ट के तहत बांग्लादेश मिट्टी के कटाव पर रोक लगाना चाहता है और इसके साथ ही साथ गर्मीयों के समय जलसंकट से भी निपटना चाहता है।

बांग्लादेश इस नदी पर एक विशाल बांध का निर्माण कर इसको एक इलाके में सीमित करना चाहता है जिससे बरसात के समय बाढ़ से बचा जा सके और पानी का उपयोग किया जा सके।

इस प्रोजेक्ट के लिए चीन बांग्लादेश को 1 बिलियन डॉलर का सस्ता कर्ज देने के लिए तैयार है, लेकिन हसीना सरकार भारत की चिंताओं को देखकर यह लोन नहीं लेना चाहती, ऐसे में भारत के द्वारा इस प्रोजेक्ट में दिलचस्पी दिखाना दोनों ही देशों के लिए सही है।

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